मुंबईः पत्नी को 47 महीने तक मेंटेनेंस न देने के लिए 47 माह के लिए जेल भेजे गए पति को बॉम्बे हाई कोर्ट ने राहत दी है। हाई कोर्ट ने आर्थर रोड जेल को पति को रिहा करने का निर्देश दिया है। मुंबई की मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने जनवरी 2024 में पति को 47 माह के साधारण कारावास की सजा सुनाई थी। मैजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले के खिलाफ पति ने हाई कोर्ट में अपील की थी। जस्टिस शर्मिला देशमुख के सामने पति की याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद जस्टिस देशमुख ने कहा कि मौजूदा मामले में दिया गया मैजिस्ट्रेट का आदेश सीआरपीसी की धारा 125(3) के प्रावधानों का उल्लंघन करता है। मैजिस्ट्रेट इस मामले में एक माह से अधिकतम 12 माह की सजा दे सकते थे।
यह है मामला
महिला ने गुजारे भत्ते की मांग को लेकर 2018 में मैजिस्ट्रेट कोर्ट में अर्जी दायर की थी। मैजिस्ट्रेट ने अंतरिम गुजारे भत्ते के रूप में पति को 15 हजार रुपये प्रतिमाह पत्नी को, जबकि 10 हजार रुपये प्रतिमाह नाबालिग बेटी को देने का निर्देश दिया था। भरण-पोषण की रकम 11 लाख 50 हजार रुपये हो गई थी। पति ने इसमें से केवल 3 लाख 25 हजार रुपये का भुगतान किया था। इसे देखते हुए मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने पति को 47 माह के लिए जेल भेज दिया था।
सुनवाई के दौरान पति का पक्ष रख रहे वकील ने कहा कि मैजिस्ट्रेट ने इस मामले में अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर आदेश दिया है। वहीं पत्नी का पक्ष रख रह रही वकील ने कहा कि मौजूदा मामले में नाबालिग बेटी का भी गुजारा भत्ता बाकी है। इसलिए मैजिस्ट्रेट का आदेश उचित है। इन दलीलों को सुनने के बाद मैजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द कर दिया, लेकिन पत्नी को नए सिरे से मेंटेनेंस की रकम की वसूली के लिए अर्जी करने की छूट दी गई है।