बच्चों, विशेष रूप से स्कूली बच्चों को ड्रग्स और मादक पदार्थों के सेवन से बचाने के लिए, भारत के प्रधानमंत्री जी के विजन “नशा मुक्त भारत” –Drugs Free India” और गृहमंत्री जी के कुशल मार्गदर्शन में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) तथा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के द्वारा “बच्चों में ड्रग्स और मादक पदार्थों के दुरुपयोग एवं उनके अवैध दुर्व्यापार की रोकथाम पर संयुक्त कार्य योजना के कार्यान्वयन” हेतु राष्ट्रस्तरीय समीक्षा सह–परामर्श बैठक का आयोजन नई दिल्ली के विज्ञान भवन में किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय गृहराज्य मंत्री, श्री नित्यानंद राय जी के द्वारा बच्चों को नशे से संरक्षण तथा विद्यालयों के आसपास नशीले पदार्थों की बिक्री पर रोक के लिए निगरानी तंत्र विकसित करने के उद्देश्य से निर्मित “प्रहरी पोर्टल” का शुभारंभ किया। इस पोर्टल के माध्यम से स्कूलों में नशीली दवाओं और मादक द्रव्यों के सेवन के बारे में जागरूकता और संवेदनशीलता के लिए प्रहरी क्लबों के लिए नामित बच्चों और शिक्षकों द्वारा गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी। गृहराज्य मंत्री ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग औऱ स्वापक नियंत्रक ब्यूरो के द्वारा संयुक्त रूप से विकसित Joint Action Plan की सराहना की और इस प्रयास के लिए बधाई दी। हमारे देश के प्रधानमंत्री नशा मुक्त भारत के लिए प्रतिबद्ध हैं और वह इस विषय को प्राथमिकता देते हैं। की 59 प्रतिशत आबादी युवाओं की है और 2047 में हम जिस विकसित भारत का सपना देख रहे हैं उसकी कमान इन्ही युवाओं के हाथ में होगी। इसलिए हमें अपनी युवा पीढ़ी को नशे से संरक्षण देने की सख्त आवश्यकता है। इस दिशा में एनसीपीसीआर औऱ एनसीबी का यह प्रयास सराहनीय है। नशे की लड़ाई से लड़ने के लिए गृहमंत्री जी के निर्देश पर देश में एक सशक्त निगरानी तंत्र विकसित किया गया है औऱ पुलिस तथा संबंधित विभागों को सशक्त किया गया है ताकि वह देश को नशे से संरक्षण प्रदान कर सकें। इसके साथ ही उन्होंने नशा औऱ आतंकवाद पर सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति से भी अवगत कराया। उन्होंने बताया कि नशे के कारोबार में लगे लोगों पर प्रभावी कार्रवाई के लिए हमारे द्वारा बीएसफ, एसएसबी तथा असम राइफल्स को FIR दर्ज करने की शक्ति प्रदान की गई है तथा नशे के कारोबार को जड़ से खत्म करने के लिए उस पर व्यापक प्रहार किया जा रहा है। इसके साथ ही 2019 में NCORD (National Narcotics Coordination) की शुरूआत की जो नशे के विरूद्ध महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। देशभर में 30 जिलाधिकारियों को Joint Action Plan के उत्तम क्रियान्वयन के लिए सम्मानित किया और कहा कि इन सभी जिलाधिकारियों के मॉडल और अनुभव को देश के सभी जिलों तक पंहुचाया जाना चाहिए, जिससे कि देश के सभी जिले एक प्रभावी तरीके से नशे के विरूद्ध कार्रवाई कर सके। नशे की खेती तथा अन्य संबंधित चिंताओं पर सरकार के द्वारा की जा रही कार्रवाईयों के संबंध में भी उन्होंने सभागार में उपस्थित प्रतिभागियों को अवगत कराया। अंत में उन्होंने गृहमंत्री जी की ओर से राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आय़ोग द्वारा बच्चों को नशे से बचाने की दिशा में किए जा रहे कार्य के लिए मंत्रालय की ओर से हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया और सभी को साथ मिलकर देश के बच्चों को नशे से बचाने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आय़ोग के अध्यक्ष श्री प्रियंक कानूनगो ने गृहराज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय तथा सभागार में उपस्थित विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों का अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि हम जिस उत्साह से यहां एकत्रित हुए हैं उससे विषय पर हमारी प्रतिबद्धता प्रमाणित होती है। प्रधानमंत्री जी के शब्दों में कहें तो देश अपने अमृतकाल हमें और इस समय हमारे संरक्षण में पोषित हो रही देश की इसी युवा पीढ़ी के हाथ में विकसित भारत की कमान होगी। हम प्रधानमंत्री जी के विकसित भारत के सपने को तभी साकार कर पाएंगे जब हम अपने युवाओं और बच्चों को नशे से संरक्षण प्रदान करने में सफल होंगे। प्रधानमंत्री जी ने 04 वर्ष पहले बच्चों और युवाओं के बीच नशे की समस्या पर चिंता जताई और इसी तारतम्य में आयोग ने देश के बच्चों को नशे से बचाने के लिए Joint Action Plan बनाने की जिम्मेदारी ली। उसी के तारतम्य में हमने स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (NCB) के साथ मिलकर यह Joint Action Plan विकसित किया है। इसको निर्मित करने में विभि्न्न मंत्रालयों तथा विभागों का सहयोग लिया गया है तथा यह दस्तावेज सरकार की उपलब्ध नीतियों और प्रभावी कानूनों को संकलित कर बनाया गया है और इसके माध्यम हमने बच्चों को नशे से संरक्षण प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री जी के नशा मुक्त भारत के मिशन में छोटा सा योगदान दिया है और नशे को लेकर प्रधानमंत्री जी की चिंताओं को चुनौती के तौर पर लिया है। यह प्रधानमंत्री जी की दूरदर्शिता का ही नतीजा है कि दवा की दुकानों पर नशीले पदार्थों की बिक्री के जरिए नशे की लत को उन्होंने 04 वर्ष पहले ही विश्व के समक्ष रखा जिसकी विश्व आज चर्चा कर रहा है। एनसीबी के सहयोग से हमने देश भर में एक युद्ध नशे के विरूद्ध का घोष किया है और हमारे इस प्रयास के सकारात्मक प्रारंभिक आंकड़े दिखने लगे हैं। Joint Action Plan के प्रभावी क्रियान्वयन के अंतर्गत नशे के विरूद्ध बच्चों की सक्रीय सहभागिता के लिए अभी तक 6,27,309 प्रहरी क्लब स्थापित किए जा चुके हैं। देश में 438 जिलाधिकारियों द्वारा सीआरपीसी की धारा-133 के अंतर्गत शेड्यूल एच औऱ एक्स की दवाओं की बिक्री पर निगरानी के लिए मेडिकल स्टोर्स पर कैमरा स्थापित करने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। शेड्यूल एच औऱ एक्स की दवाओं की बिक्री पर निगरानी के लिए 3,69,727 मेडिकल स्टोर्स पर कैमरा स्थापित किए जा चुके हैं। अभी तक कुल 3,68,778 तंबाकू/सिगरेट इत्यादि की दुकानों को स्कूलों के आसपास से हटाया जा चुका है। इसके साथ ही देशभर में बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को दवा की दुकानों पर लगे कैमरों की निगरानी के लिए निर्देशित किया जा चुका है। यह आंकड़े बता रहे हैं कि हमारा प्रयास सही दिशा में अग्रसर है। इसके साथ ही नसे से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले Street Children के परिवार केंद्रित पुनर्वास के लिए भी आयोग के द्वारा प्रभावी प्रयास किए गए हैं जिससे अभी तक ऐसे लगभग 26,000 बच्चों के पुनर्वास की निगरानी की जा रही है। इसके साथ ही उन्होने वर्तमान में Online Drugs Sale तथा इसमें बच्चों का इस्तेमाल, Exclusive Internet for children, सूंघने वाले नशीले पदार्थों पर बात की और शेड्यूल एच तथा एक्स दवाओं की बिक्री को डिजिटलाईज्ड करने की बात की। राज्य बाल आयोग से भी आग्रह किया कि एनसीईआरटी तथा एससीईआरटी के साथ मिलकर नए करिकुलम तथा नए पाठ्यक्रम में इस विषय को प्राथमिकता से सम्मिलित कराएं।
श्री सचिन जैन, उप–निदेशक, स्वापक नियंत्रक ब्यूरो (NCB) ने Joint Action Plan की महत्ता से सभी प्रतिभागियों को अवगत कराया। उन्होनें बच्चों को नशे संरक्षण प्रदान करने के लिए NCB की भूमिका और प्रयासों के बारे में चर्चा की। बच्चों को नशे से संरक्षण प्रदान करने के लिए साझा प्रयास की आवश्यकता पर बल दिया और प्रहरी क्लब की महत्ता पर बल दिया जो बच्चों को नशे से बचाने के लिए एक प्रभावी निकाय के रूप में कार्य कर रहा है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य सचिव श्रीमती रूपाली बनर्जी सिंह ने मंचासीन विभूतियों तथा सभागार में उपस्थित प्रतिभागियों का इस कार्यक्रम में सहभागिता करने के लिए धन्यवाद प्रेषित किया और इस Join Action Plan के और प्रभावी कार्यान्वयन में सहयोग प्रदान करने कि लिए कहा।
कार्यक्रम में के दौरान UNODC के क्षेत्रीय प्रतिनिधि, Mr. Marco Tiexeira ने ड्रग्स और मादक पदार्थों के दुरुपयोग एवं उनके अवैध दुर्व्यापार की रोकथाम में UNODC की भूमिका से सभी को अवगत कराया। इसी तारतम्य में देश के 33 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के द्वारा उनके प्रदेशों में Joint Action Plan के संबंध में की गई कार्रवाई तथा बच्चों को नशे से संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों से अवगत कराया।
कार्यक्रम के दौरान अपने-अपने जिलों में संयुक्त कार्य योजना के सफल कार्यान्वयन पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले 30 जिलों के जिला मजिस्ट्रेट/कलेक्टरों को सम्मानित किया गया। 30 जिलों में दक्षिण आंडमान, एनटी रामा राव (आंध्र प्रदेश), दिबांग वैली (अरूणांचल प्रदेश), दरांग (असम), भागलपुर (बिहार), चंडीगढ़, राजनंदगॉंव (छत्तीसगढ़), दादर नगर हवेली, उत्तरी पूर्वी दिल्ली (दिल्ली), दक्षिणी गोवा (गोवा), खेड़ा (गुजरात), हिसार (हरिय़ाणा), ऊना (हिमाचल प्रदेश), शोपिया (जम्मू कश्मीर), चिक्कबल्लापुर (कर्नाटक), त्रिचूर (केरल), लेह (लद्दाख), शिवपुरी (मध्यप्रदेश), नंदूरबार (महाराष्ट्र), चंदेल (मनिपुर), नार्थ गारो हिल्स (मेघालया), फेक ( नगालैंड), केंदुझर (अडिसा), पुड्डूचेरी, शहीद भगत सिंह नगर (पंजाब), झुंझुनू (राजस्थान), मयिलादुथुराई (तमिलनाडु), मंचेरियल (तेलंगाना), खोवाई (त्रिपुरा), बाराबंकी (उत्तर प्रदेश) आदि शामिल हैं। Joint Action Plan का उत्तम कार्यान्वयन, प्रहरी क्लब बनाना, दवा की दुकानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाना, डी एडिक्शन सेंटर, बच्चों के बीच नशीले पदार्थों की बिक्री करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई, विद्यालयों के आसपास तंबाकू बेचने वाले दुकानदारों के विरुद्ध कार्रवाई इत्यादि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें बेहतर कार्य करने के लिए इन जिलों के जिलाधिकारियों को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में देश के सभी राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर), महिला एवं बाल विकास विभाग/समाज कल्याण विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, पुलिस विभाग, औषधि नियंत्रक, आबकारी विभाग, फार्मेसी परिषद और सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी (एसएसीएस) के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
संयुक्त कार्य योजना (Joint Action Plan) – “नशे के खिलाफ एक युद्ध” – देश में बच्चों के बीच ड्रग्स और मादक द्रव्यों के सेवन की रोकथाम की दिशा में प्रतिमान बदलाव लाने के लिए विभिन्न प्राधिकरणों, संस्थानों, एजेंसियों द्वारा किए गए प्रयासों को सुव्यवस्थित और रणनीतिबद्ध करने के लिए तैयार की गई थी। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने स्वापक नियंत्रक ब्यूरो (एनसीबी) के साथ मिलकर 2021 में “बच्चों में ड्रग्स और मादक पदार्थों के सेवन तथा अवैध तस्करी की रोकथाम” पर एक संयुक्त कार्य योजना (Joint Action Plan) तैयार की है। इसके अलावा, यह बच्चों को नशीली दवाओं के सेवन से दूर रखने और समयबद्ध तरीके से अभिसरण कार्यों के माध्यम से स्कूलों/शैक्षणिक और बाल देखभाल संस्थानों के आसपास के क्षेत्रों में ड्रग्स की बिक्री को रोकने के लिए एक रूपरेखा है। इसमें बच्चों द्वारा नशीली दवाओं के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं, पदार्थों और अन्य प्रकार की वस्तुओं की पहुंच को रोकने के लिए कुछ रणनीतिक हस्तक्षेप भी अपनाए गए हैं। यह बच्चों में नशीली दवाओं और पदार्थों के दुरुपयोग के मुद्दे पर अपनी तरह की पहली व्यापक संयुक्त कार्य योजना है, जिसमें सभी हितधारकों, एजेंसियों, कर्तव्यधारकों, अधिकारियों, मीडिया और अभिभावकों को दस्तावेज में बताई गई अपनी निर्धारित भूमिकाएं निभानी हैं।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के बारे में
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम, 2005 की धारा-3 के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है। आयोग को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012, किशोर न्याय अधिनियम, 2015 तथा निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 के उचित और प्रभावी क्रियान्वयन की निगरानी करने का कार्य सौंपा गया है। सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13 के तहत आयोग को देश में बाल अधिकारों और संबंधित मामलों के रक्षण और संरक्षण के लिए अधिदेशित किया गया है। इसके साथ ही आयोग को सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 14 के तहत धारा-13 (1)(जे) में निर्दिष्ट किसी विषय की जांच करते समय और विशिष्ट विषयों के संबंध में वह सभी शक्तियां प्राप्त हैं, जो सिविल प्रक्रियां संहिता 1908 के अधीन किसी वाद का विचारण करते समय सिविल न्यायालय को होती हैं।