मुंबई : मध्य रेलवे ने इगतपुरी में भारतीय रेल का पहला फ्लोटिंग सोलर प्लांट लगाने की योजना बनाई है। मध्य रेलवे के ही अधिकार क्षेत्र में एक झील है, जिसकी क्षमता 1,206 मिलियन लीटर पानी की है। इसी झील में फ्लोटिंग प्लांट लगाने की योजना है, जिसका प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेज दिया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उम्मीद है, जल्द ही मंज़ूरी भी मिल जाएगी। मंज़ूरी मिलने के 4 महीने में प्लांट तैयार हो जाएगा। इस प्लांट से क़रीब 10 मेगावाट अक्षय ऊर्जा बिजली का उत्पादन हो सकेगा।
वैकल्पिक ऊर्जा का भरपूर उपयोग
मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी स्वप्निल निला के अनुसार, ‘2030 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन के अपने अंतिम लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए, मध्य रेल ने रेलवे स्टेशनों और इमारतों की छतों का उपयोग करके 12.05 MWp सौर संयंत्र चालू किए हैं, जिनमें से 4 MWp सौर संयंत्र पिछले साल लगाए थे। इसके परिणामस्वरूप वर्ष 2023-24 में 4.62 करोड़ रुपये की बचत हुई है और 6594.81 मीट्रिक टन कार्बन फुटप्रिंट की बचत हुई है।’ फिलहाल, 56.4 मेगावाट पवन ऊर्जा और 61 मेगावाट सौर ऊर्जा का दोहन किया जा रहा है। इसके अलावा, 325 मेगावाट सौर और पवन ऊर्जा के उपयोग के लिए पीपीए पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जो ‘राउंड-द-क्लॉक’ आधार पर होंगे। इसके अलावा, चालू वित्त वर्ष में 180 मेगावाट सौर और 50 मेगावाट पवन ऊर्जा भी प्रवाहित होने की संभावना है।
ढाई लाख पेड़ के बराबर लाभ
मध्य रेलवे की तरफ से वैकल्पिक ऊर्जा का जो दोहन किया जा रहा है, उससे मिलने वाला लाभ 2,50,000 पेड़ों से मिलने वाले लाभ के बराबर है। इसे देखते हुए चालू वर्ष में अतिरिक्त 7 MWp सौर संयंत्र स्थापित करने की योजना है। मध्य रेल की वर्तमान मासिक बिजली खपत ट्रैक्शन कार्य के लिए 236.92 मिलियन यूनिट और गैर-ट्रैक्शन कार्य के लिए 9.7 मिलियन यूनिट है। नवीकरणीय ऊर्जा के उपरोक्त स्रोतों के चालू होने के बाद, यह उम्मीद की जाती है कि ट्रैक्शन ऊर्जा का 70 फीसदी हिस्सा हरित होगा।