पुणे : चेन्नई के इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ में 31 जनवरी को एक 10 साल के बच्चे की मौत हो गई। मंगलवार को पुष्टि हुई कि यह बच्चा तमिलनाडु का पहला गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) पीड़ित था। इस दुर्लभ लेकिन इलाज होने वाली बीमारी से पिछले महीने से अब तक सात लोगों की जान जा चुकी है। पुणे में देश भर में GBS से हुई मौतों में से पांच मामले सामने आए हैं। गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के संदिग्ध मामलों की कुल संख्या बढ़कर 166 हो गई है। इनमें से 130 मामलों की पुष्टि हो चुकी है।महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने इस प्रकोप का कारण कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी नामक बैक्टीरिया को बताया है। विभाग का कहना है कि उपलब्ध सबूत बताते हैं कि यह संक्रमण मुख्य रूप से पानी के जरिए फैला है।
खाद्य पदार्थ नहीं, पानी से फैला
एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने TOI को बताया, ‘मरीजों से लिए गए 70 मल के नमूनों में से 27 नमूने C. Jejuni पॉजिटिव पाए गए हैं। इससे इस आशंका को बल मिलता है कि इस बैक्टीरिया ने प्रभावित क्षेत्र में पीने के पानी को दूषित कर दिया था और यही प्रकोप का कारण बना।’ स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि हमें नहीं लगता कि यह प्रकोप खाने से फैला है। अगर ऐसा होता, तो यह प्रकोप आम तौर पर एक पॉइंट-सोर्स पैटर्न का पालन करता। इसका मतलब है कि मामले एक सामान्य खाद्य स्रोत से जुड़े होते, किसी विशेष स्थान से खपत का स्पष्ट इतिहास होता और मामले उन्हीं लोगों में होते, जिन्होंने उस खाद्य पदार्थ का सेवक किया होता।कम से कम 87 मामले दूषित क्षेत्र के 5 किमी के दायरे में थे। अधिकारी ने कहा, ‘प्रभावित क्षेत्र के कुओं में खड़कवासला बांध से बिना उपचारित पानी आता है, जिसे फिर सीधे समुदाय को आपूर्ति किया जाता है।’
गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) क्या है?
यह एक दुर्लभ बीमारी है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से नसों पर हमला करती है। इससे मांसपेशियों में कमजोरी, झुनझुनाहट और कभी-कभी लकवा भी हो सकता है। यह बीमारी इलाज योग्य है। कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी एक बैक्टीरिया है जो दूषित भोजन या पानी से फैल सकता है। यह दस्त और पेट में ऐंठन जैसे लक्षण पैदा कर सकता है। कुछ मामलों में, यह GBS जैसी गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है।
साफ पानी पीने की अपील
अधिकारियों ने जल आपूर्ति विभाग को सभी घरों में कम से कम 0.2 ppm क्लोरीन का स्तर सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। क्लोरीन पानी में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस को मारने में मदद करता है। इससे पानी पीने के लिए सुरक्षित हो जाता है। इससे GBS और अन्य जलजनित बीमारियों के प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी। लोगों को सलाह दी जाती है कि वे साफ और सुरक्षित पानी ही पिएं।
पुणे का हाल बुरा
स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि 33 मरीज पुणे MC से, 86 नए जोड़े गए PMC क्षेत्र के गांवों से, 19 पिंपरी चिंचवड़ MC से, 20 पुणे ग्रामीण से और 8 अन्य जिलों से हैं। इनमें से 52 मरीजों को अब तक छुट्टी दे दी गई है, 61 ICU में हैं और 21 वेंटिलेटर पर हैं।