पुणे में जीबीएस से दो मौतें! मरीजों की संख्या बढ़कर हुई 101, अजित पवार ने किया फ्री इलाज का ऐलान

पुणे : महाराष्ट्र के पुणे में गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) बीमारी से हाहाकार मच गया है। अब एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) की मौत हो गई है। कुछ दिन पहले वह सोलापुर जिले में अपने गांव गए थे, तभी से उन्हें दस्त हो रही थी। कमजोरी बढ़ने पर सोलापुर के प्राइवेट अस्पताल पहुंचे तो GBS का पता लगा। शनिवार को तबीयत स्थिर होने पर ICU से CA को बाहर निकाला गया, लेकिन कुछ देर बाद सांस लेने में दिक्कत की वजह से मौत हो गई। इससे पहले एक महिला मरीज की भी मौत हो चुकी है। 64 साल की महिला का इलाज पिंपरी पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टिटिय्टू के यशवंतराव चव्हान मेमोरियल अस्पताल में चल रहा था।पुणे में अब तक 101 मामले इस बीमारी के आ चुके हैं, जिनमें 16 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। केंद्र ने जांच के लिए एक टीम पुणे भेजी है। डिप्टी सीएम अजित पवार ने रविवार को कहा कि पुणे नगर निगम के कमला नेहरू अस्पताल में GBS के मरीजों का फ्री इलाज होगा।

जांच में मिला कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया

जीबीएस जैसी दुर्लभ लेकिन उपचार योग्य स्थिति से पीड़ित सोलह मरीज वर्तमान में वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। लक्षणों वाले लगभग 19 लोग नौ साल से कम उम्र के हैं, जबकि 50-80 आयु वर्ग के 23 मामले हैं। 9 जनवरी को अस्पताल में भर्ती एक मरीज को पुणे क्लस्टर के भीतर पहला जीबीएस मामला होने का संदेह है।
परीक्षणों से अस्पताल में भर्ती मरीजों से लिए गए कुछ जैविक नमूनों में कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया का पता चला है। सी जेजुनी दुनिया भर में जीबीएस के लगभग एक तिहाई मामलों का कारण बनता है और सबसे गंभीर संक्रमणों के लिए भी जिम्मेदार है। अधिकारी पुणे के पानी का नमूना ले रहे हैं, खासकर उन इलाकों में जहां मामले सामने आ रहे हैं।

कुएं की जांच में बैक्टीरिया ई. कोली का हाई लेवल

परीक्षण के नतीजों से पता चला कि पुणे के मुख्य जलाशय खड़कवासला बांध के पास एक कुएं में बैक्टीरिया ई. कोली का हाई लेवल था। लेकिन अधिकारियों ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि कुएं का उपयोग किया जा रहा था या नहीं। निवासियों को सलाह दी गई है कि वे पानी को उबाल लें और खाने से पहले अपना खाना गर्म कर लें।स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि रविवार तक 25,578 घरों का सर्वेक्षण किया गया था, जिसका उद्देश्य समुदाय के भीतर अधिक रोगियों को ढूंढना और जीबीएस मामलों में वृद्धि के कारणों का पता लगाना था, जो अन्यथा महीने में दो से अधिक नहीं होते हैं।

जीबीएस उपचार महंगा, 20000 का एक इंजेक्शन

डॉक्टरों ने कहा कि जीबीएस के 80% प्रभावित रोगी अस्पताल से छुट्टी मिलने के छह महीने के भीतर बिना सहायता के चलने लगते हैं। कुछ को अपने अंगों का पूरा उपयोग करने में एक साल या उससे अधिक समय लग सकता है। जीबीएस उपचार भी बहुत महंगा है। मरीजों को आमतौर पर इम्युनोग्लोबुलिन (आईवीआईजी) इंजेक्शन के एक कोर्स की आवश्यकता होती है। मरीज की बीमारी के अनुसार उसे इंजेक्शन लगते हैं।

68 वर्षीय एक मरीज को 16 जनवरी को भर्ती कराया गया था। उसे 13 इंजेक्शन के आईवीआईजी कोर्स की आवश्यकता थी, जिसमें प्रत्येक शॉट की कीमत लगभग 20,000 रुपये थी।

ऐसे सामने आए जीबीएस के मामले

शहर के तीन प्रमुख अस्पतालों ने इस सप्ताह की शुरुआत में स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों को अलर्ट भेजा, जब उन्हें स्थिति अलार्मिंग लगी। अस्पताल में जो नए भर्ती मरीज आए, उनमें जीबीएस के मरीजों की सामान्य बहुत ज्यादा था। 10 जनवरी को 26 मरीज भर्ती हुए। शुक्रवार तक यह संख्या बढ़कर 73 हो गई।

अजीत पवार बोले- फ्री होगा इलाज

पुणे में बढ़ते मामलों के बारे में बोलते हुए, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने घोषणा की, ‘इलाज महंगा है। जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद, हमने मुफ्त इलाज देने का फैसला किया है। पिंपरी-चिंचवाड़ के लोगों का इलाज वाईसीएम अस्पताल में किया जाएगा, जबकि पुणे नगर निगम क्षेत्रों के मरीजों का इलाज कमला नेहरू अस्पताल में होगा। ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों के लिए, पुणे के ससून अस्पताल में मुफ्त इलाज दिया जाएगा।’

इम्यून सिस्टम नसों पर करता है हमला

GBS होने पर शरीर का इम्यून सिस्टम अपनी ही नसों पर हमला करता है। इससे अचानक सुन्नपन, मांसपेशियों में कमजोरी या लकवा हो जाता है। पुणे सिविक बॉडी के सोर्स के अनुसार, इसके लक्षणों में दस्त, पेट दर्द, बुखार, मतली और उल्टी शामिल है। यह दूषित पानी या खाने से हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से उबला हुआ पानी पीने और खुले में या बासी खाना खाने से बचने की सलाह दी है। एक सीनियर मेडिकल ऑफिसर ने बताया कि हाल ही में हुए टीकाकरण, सर्जरी और न्यूरोपैथी इस सिंड्रोम को ट्रिगर कर सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *