मुंबई: पानी की कटौती से जूझ रहे मुंबईकरों को पानी की बर्बादी महंगी पड़ सकती है। बीएमसी अब पानी बर्बाद करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के लिए पॉलिसी बनाएगी। यह पॉलिसी खासकर उन लोगों के लिए होगी, जो पाइप के पानी से गाड़ी धोते हैं, पाइप से गार्डन में पानी देते हैं, गैलरी, बरामदा और सीढ़ियों को धोते हैं। उनके खिलाफ आर्थिक दंड लगाने के लिए बीएमसी पॉलिसी बनाएगी। यह जानकारी बीएमसी के अडिशनल कमिश्नर संजय बांगर ने दी है। उन्होंने कहा है कि मुंबई में पानी आपूर्ति करना हमेशा से बड़ी चुनौती रही है। ऐसे में जब झीलों में पानी का स्तर काफी नीचे चला गया है और मुंबईकर पानी कटौती का सामना कर रहे हैं। ऐसे में पानी की बर्बादी रोकने के लिए हमें पॉलिसी बनाने की जरूरत है। इसमें पानी बर्बाद करने वाले व्यक्ति पर आर्थिक दंड का प्रावधान होगा। बता दें कि पानी की किल्लत से जूझ रही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में पाइप से गाड़ी धोने पर आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है।
मुंबई को पानी आपूर्ति करने वाली झीलों में उनकी कुल क्षमता का 8 प्रतिशत से कम स्टॉक रह गया है। इससे बीएमसी प्रशासन की नींद उड़ी हुई है। झीलों में जलस्तर कम होने के कारण बीएमसी 30 मई से 4 जून तक 5 प्रतिशत और 5 जून से मुंबई में 10 प्रतिशत की पानी की कटौती होगी। बीएमसी ने राज्य सरकार द्वारा दिए गए रिजर्व कोटे के पानी का भी इस्तेमाल शुरू कर दिया है।
मुंबईकर ऐसे करें पानी की बचत
बीएमसी अधिकारी ने कहा है कि लोगों को अपनी गाड़ियों को पाइप से नहीं धोना चाहिए। इससे काफी पानी बर्बाद होता है। वाहनों को धोने के लिए पाइप का उपयोग किए बिना बर्तन में पानी लेकर गीले कपड़े से वाहनों को साफ करें। पानी की छोटी छोटी बचत से संकट को कम किया जा सकता है। यदि नागरिक पानी की बचत करें, तो दंड लगाने की नौबत ही नहीं आएगी।- पीने के लिए एक गिलास में जितनी जरूरत हो, उतना ही पानी लें
– शॉवर के बजाय बाल्टी में नहाने से काफी पानी की बचत होती है
– नल चालू रखते हुए ब्रश और शेविंग करने से बचें
– घर के काम के समय नल से नहीं, बल्कि बर्तनों में पानी रखकर इस्तेमाल करें
– घर में लादी, गैलरी, बरामदा, सीढ़ियों आदि को धोने की बजाय गीले कपड़े से साफ करें
– वॉशिंग मशीन में एक बार में जितना संभव हो उतने ही कपड़े धोएं
– ऐसा वॉश बेसिन नल लगवाएं, जिससे पानी धीमा गिरता हो
-रेस्ट्रॉन्ट में जरूरत हो तभी गिलास में पानी दें, नहीं तो बोतल में दें, इससे पानी बर्बाद नहीं होता
– सभी घरों में पानी आपूर्ति लाइनों की जांच हो, रिसाव मिले तो, उसे तुरंत ठीक किया जाए
– छत पर टंकी भरते समय ओवरफ्लो नहीं होने का ध्यान रखें
-सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में पानी की बर्बादी रोकने के जरूरी उपाय हों
क्या है बीएमसी के पास उपाय?
मुंबई में पानी आपूर्ति बीएमसी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि उसके पास आपूर्ति के सीमित स्रोत हैं। लेकिन बीएमसी आज तक उसका विकल्प नहीं तलाश पाई है। गरगाई प्रॉजेक्ट और मनोरी प्रॉजेक्ट कब शुरू होंगे, यह बीएमसी भी नहीं बता सकती। तब तक बीएमसी को सात झीलों के पानी से ही काम चलाना पड़ेगा। बीएमसी मुंबई में प्रतिदिन 3,850 एमएलडी पानी की आपूर्ति करती है, लेकिन इसमें से लगभग 25% प्रतिशत यानी करीब 800 एमएलडी पानी लीकेज या चोरी की वजह से नागरिकों तक नहीं पहुंच पाता है। बीएमसी लीकेज रोकने और पुरानी पाइपलाइन को बदलने का काम कर रही है, लेकिन इसके बावजूद कहीं न कहीं रोज लीकेज की घटना सामने आती है, जिससे हजारों लीटर पानी बर्बाद होता है। बीएमसी प्रशासन इस बात को मानता है कि जब तक पानी के नए स्रोत नहीं मिल जाएं, तब तक लीकेज और चोरी को रोककर समस्या का समाधान किया जा सकता है।