मुंबई-एमएमआर में 20 मई को वोटिंग, वीकेंड ने बढ़ाई टेंशन, घटेगा वोटिंग प्रतिशत या मतदाता दिखाएंगे ताकत?

मुंबई: वोटिंग किस दिन होगी, इससे किसी शहर या गांव के लोगों को ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, लेकिन मुंबई का मामला अलग है। यहां लोग वीकेंड पर मुंबई से बाहर चले जाते हैं और दो दिन की छुट्टी काटकर लौटते हैं। ऐसे में, राजनीतिक दलों और चुनाव आयोग की चिंता बढ़ गई है। मुंबई सहित एमएमआर में 20 मई को वोटिंग है और उस इस तारीख को सोमवार पड़ रहा है। कहा जा रहा है कि लोग शुक्रवार को ही शहर से बाहर चले जाएंगे। शनिवार-रविवार की छुट्टी रहेगी और सोमवार को वोटिंग के लिए अतिरिक्त छुट्टी मिलने पर वोटिंग पर्सेंटेज पर असर पड़ सकता है।

बता दें कि लोकसभा चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं। पहले चरण में 5 और दूसरे चरण में 8 सीटों के लिए वोट डाले गए। देश में सबसे कम वोटिंग महाराष्ट्र में दर्ज की गई है। पहले चरण का वोटिंग पर्सेंटेज 60.22 फीसदी और दूसरे चरण का 59.63 फीसदी था।

2019 में भी ऐसा ही कुछ हुआ था

पांचवें और आखिरी चरण में 20 मई को मुंबई की 6 और एमएमआर की 4 सीटों पर वोटिंग होने वाली है, जिससे राजनीतिक दलों और चुनाव आयोग की चिंता बढ़ी हुई है। ऐसी चर्चा है कि 3 दिन की छुट्टी मिलने पर लोग बाहर चले जाएंगे, जिससे वोटिंग पर असर पड़ सकता है। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान मुंबई सहित एमएमआर की 10 सीटों पर वोटिंग हुई थी, तब भी सोमवार था। तब भी मुंबई में वोटिंग कम हुई थी।

मतदाताओं में उत्साह नहीं

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बार लोकसभा चुनाव के प्रति लोगों में खास उत्साह नहीं दिख रहा है। इसका एक कारण गर्मी और पांच चरणों का लंबा शेड्यूल भी है। वहीं, शहरों में कम वोटिंग का ट्रेंड भी रहा है। 2014 में चुनाव आयोग ने वीकेंड के अगले दिन और छुट्टी से पहले चुनाव की तारीख न रखने की पहल की थी, लेकिन 2019 और अब 2024 में वीकेंड के अगले दिन चुनाव हो रहा है। हालांकि, चुनाव आयोग मुंबई शहर और उपनगर में मतदाताओं को वोटिंग के लिए जागरूक करने का प्रयास कर रहा है। चुनाव आयोग के अधिकारी लगातार लोगों से संपर्क कर उन्हें वोटिंग के लिए प्रेरित कर रहे हैं और हर सुविधा उपलब्ध कराने का दावा कर रहे हैं।

गांव जाने वालों का भी होगा असर

मुंबई में 74 लाख से अधिक वोटर हैं। इनमें सबसे ज्यादा मराठी और हिंदीभाषी हैं। एक आंकड़े के अनुसार, मुंबई में करीब 36 लाख मराठीभाषी रहते हैं। इनमें करीब 50 फीसदी यानी 18 से 20 लाख कोकण के रहने वाले हैं। यह दूरी मुंबई से 100 से 200 किमी है। इसके बाद पुणे के मावल क्षेत्र और अहमदनगर के रहने वाले मराठी शामिल हैं। आम दिनों में भी ये लोग बड़ी संख्या में वीकेंड पर अपने गांव चले जाते हैं। इनमें से ज्यादातर मुंबई में वोटर हैं। वहीं, मुंबई में उत्तर भारतीयों की संख्या करीब 30 लाख एवं गुजराती, मारवाड़ी की संख्या भी लाखों में है।स्कूलों में गर्मी की छुट्टी होते ही बड़ी संख्या में उत्तर भारतीय गांव जा रहे हैं। इनमें से बड़ी संख्या में मुंबई में मतदाता हैं। वहीं, गुजरात के सूरत सहित महाराष्ट्र से सटे जिलों के रहने वाले भी वीकेंड की छुट्टी पर गांव चले जाते हैं। मुंबई में कम वोटिंग की जो आशंका जताई जा रही है, उसका एक प्रमुख कारण यह भी माना जा रहा है।

शहर में वोटिंग पर्सेंटेज कम रहता है

मुंबई की 6 लोकसभा सीटों में से दक्षिण मुंबई सीट पर लोकसभा चुनाव में सबसे कम वोटिंग होती है। यह वह इलाका है, जहां सबसे ज्यादा धनाढ्य लोग रहते हैं। यहां रहने वाले वीकेंड पर मुंबई से बाहर जाकर छुट्टियां मनाते हैं, रविवार देर रात तक वापस आ जाते हैं और सोमवार से काम पर लग जाते हैं। 2019 में मुंबई में लोकसभा चुनाव 29 अप्रैल को हुआ था और दिन सोमवार था। इसका नतीजा यह हुआ कि इस सीट पर मुंबई में सबसे कम 51.45 फीसदी वोट पड़े थे। अन्य पांच सीटें भी इससे अछूती नहीं थीं। मुंबई उत्तर-मध्य सीट पर 53.61 फीसदी, मुंबई उत्तर-पश्चिम सीट पर 54.28 फीसदी, मुंबई दक्षिण-मध्य सीट पर 55.24 फीसदी, मुंबई उत्तर-पूर्व सीट पर 57.12 फीसदी और मुंबई उत्तर लोकसभा सीट पर 59.98 फीसदी वोटिंग हुई थी। तब विशेषज्ञों ने कहा था कि तीन दिन की लगातार छुट्टी की वजह से मुंबईकर बाहर चले गए, जिसकी वजह से कम वोटिंग हुई। हालांकि, चुनाव आयोग ने पिछले चुनाव से कोई सबक नहीं लिया।

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