नई दिल्ली: दिल्ली डिस्ट्रिक्ट कंस्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमिशन (नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट की उपभोक्ता अदालत) ने नॉर्दर्न रेलवे को अपने यात्री के सामान का ख्याल न रख पाने के लिए ‘सेवा में खामी’का जिम्मेदार ठहराया और निर्देश दिया कि वह पीड़ित को रेल यात्रा के दौरान चोरी हुए उसके सामान के बदले 1 लाख 20 हजार और मानसिक कष्ट के लिए 25 हजार रुपये मुआवजे के तौर पर दे।
30 दिन के भीतर देना होगा मुआवजा
डीसीडीआरसी(नॉर्थ) की प्रेसिडेंट दिव्या ज्योति जयपुरियार की फोरम ने 16 अप्रैल को तिलक नगर निवासी अजॉय कुमार की शिकायत पर यह जजमेंट पारित किया। कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता को तीस दिनों के भीतर एक लाख 20 हजार के मुआवजे का भुगतान करे, 9 पर्सेंट सालाना ब्याज दर के साथ जो 7 सितंबर 2017 में मामले में शिकायत दायर होने से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा 25 हजार रुपये मानसिक कष्ट और परेशान करने के मुआवजे के तौर देने का निर्देश दिया गया। फोरम ने साफ किया कि तय अवधि में मुआवजे की रकम का भुगतान न होने पर ब्याज दर 12 पर्सेंट होगी।
महानंदा एक्सप्रेस से चोरी हुआ था बैग
कुमार ने कंस्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 1986 के सेक्शन 12 के तहत दायर अपनी शिकायत में कहा कि 7 जून, 2014 की सुबह साढ़े छह बजे महानंदा एक्सप्रेस से दिल्ली से पटना की यात्रा के दौरान उनका ट्रॉली बैग चोरी हो गया। दावा किया बैग के साथ जो सामान चोरी हुआ, उसकी कीमत लगभग 1 लाख 20 हजार थी। शिकायतकर्ता ने 23 अप्रैल 2015 को रेलवे स्टेशन, दिल्ली मेन पुलिस थाने में आईपीसी की धारा 380 के तहत चोरी का केस दर्ज कराया था। कोर्ट में शिकायतकर्ता का प्रतिनिधित्व एडवोकेट मनन अग्रवाल ने किया। नॉर्दर्न रेलवे ने अपने बचाव में कहा कि शिकायतकर्ता ने अदालत से तथ्य छिपाए और मामले में कार्यवाही में उसकी तरफ से काफी विलंब हुआ।