पुणे: वह पांच बार संसद रत्न (सर्वश्रेष्ठ सांसद) पुरस्कार और एक बार महा संसद रत्न से सम्मानित हुए। राजनीति में वर्चस्व कायम किया, इसके बावजूद उन्हें एक अफसोस कचोटता है। पुणे के मावल से दो बार सांसद रहे श्रीरंग बरने को इस बात का अफसोस है कि उनके 2014 और 2019 के हलफनामे में उनकी शैक्षणिक योग्यता ‘दसवीं कक्षा फेल’ बताई गई है। लेकिन अब उनके जीवन का यह गम खत्म हो गया है। उनके हफनामे में अब वह दसवीं पास नजर आएंगे।
60 वर्षीय शिवसेना सांसद ने सोमवार को लगातार तीसरी बार मावल सीट के लिए अपना नामांकन दाखिल किया और अपने हलफनामे में गर्व के साथ उल्लेख किया कि वह अब ‘एसएससी पास’ हैं।श्रीरंग ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ‘मैंने 1980 में एसएससी परीक्षा दी थी, लेकिन मैं विज्ञान विषय में फेल हो गया था। हालांकि मैंने राजनीति में सफलता का स्वाद चखा, लेकिन 10वीं कक्षा की परीक्षा में मिली असफलता ने मुझे इतने सालों तक परेशान किया। मैं 2022 में परीक्षा में शामिल हुआ और पास हो गया।’
हलफनामे से दसवीं पास करने का हुआ खुलासा
शिवसेना सांसद ने 2022 में इस उपलब्धि को सार्वजनिक नहीं किया, जैसा कि उन्होंने संसद रत्न पुरस्कारों के मामले में किया था। उन्होंने सही समय और सही दस्तावेज का इंतजार किया। अब आम चुनावों में अपने तीसरे हलफनामे में उन्होंने दसवीं पास लिखा तो इसकी चर्चा शुरू हो गई।
फेल होने के बाद राजनीति में आ गए
अपने बचपन के दिनों में, श्रिरंग खेती में अपने पिता की मदद करते थे और 1997 में वे अपने बड़े भाई हीरामन बरने के नक्शेकदम पर चलते हुए राजनीति में आए। वह सबसे पहले पिंपरी चिंचवाड़ में पार्षद बने। वह 15 साल से अधिक समय तक पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम (पीसीएमसी) में सक्रिय रहे। शिवसेना ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पदोन्नत किया और उन्होंने 2014 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा। वह मावल से जीतकर सांसद बने। उन्होंने 2019 में दूसरी बार भी जीत हासिल की जब उन्होंने उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बड़े बेटे पार्थ को हराया।
दिल्ली पहुंचे तो पढ़ाई का पता चला महत्व
हालांकि, उनके करीबी मित्रों के अनुसार, उनकी तमाम राजनीतिक सफलताओं के बीच, दसवीं फेल का टैग उन्हें परेशान करता था। बरने के एक करीबी सहयोगी उदय अवाटे ने बताया, ‘जब श्रीरंग सांसद बनकर दिल्ली गए, तो उन्हें शिक्षा के महत्व का एहसास हुआ। वह हमेशा यह स्वीकार करते थे कि 1980 में एसएससी में मिली असफलता उन्हें परेशान कर रही थी, जबकि उन्हें कई बार सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार दिया गया था।’
कोविड में घर बैठकर की पढ़ाई
कोविड-19 महामारी और प्रतिबंधित आवाजाही के दौरान, श्रीरंग ने अपनी एसएससी परीक्षा पास करने के लिए अध्ययन किया। अवाटे ने कहा, ‘उन्हें पढ़ने का शौक है और इससे उन्हें 58 साल की उम्र में भी विषयों को आसानी से समझने में मदद मिली। वह लॉकडाउन के दौरान खूब पढ़ते थे और वह चरण खत्म होते ही वह परीक्षा में शामिल हुए और 2022 में इसे पास कर लिया।’