महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एवं उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद यह चर्चा तेज है कि राज ठाकरे को शिवसेना की कमान संभालने का प्रस्ताव दिया गया है.
पहले दिल्ली में केद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात और बाद में मुंबई के ताज लैंड्स होटल में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे ने चर्चा की. सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व और महाराष्ट्र नेतृत्व के साथ यह चर्चा सिर्फ मनसे को महागठबंधन में लेने तक सीमित नहीं है. राज ठाकरे को साथ लेने के पीछे एक बड़ी रणनीति है. सूत्रों के अनुसार बीजेपी ने राज ठाकरे के सामने 3 विकल्प रखे हैं. पहला विकल्प है कि एमएनएस का शिंदे की शिव सेना में विलय कर राज ठाकरे शिव सेना का नेतृत्व करें. यानी शिव सेना की कमान राज ठाकरे हाथों में दिया जाए और उन्हें शिवसेना अध्यक्ष बनाया जाएगा.
एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना में फूट पड़ गई. चुनाव आयोग ने शिंदे के हाथ में शिवसेना की कमान सौंप दी. सूत्रों के अनुसार शिवसेना और राज ठाकरे को भी साथ लेने का प्रस्ताव दिया गया है, लेकिन फिलहाल राज ठाकरे ने तत्काल सहमति देने से इनकार कर दिया है. राज ठाकरे ने कहा है कि वह शुरुआत में अन्य विकल्पों पर विचार करेंगे. दिलचस्प बात यह है कि शिंदे की बगावत के बाद भी राज ठाकरे के नाम की चर्चा हुई थी. हालांकि, उस समय कुछ नहीं हुआ.
जब शिव सेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे जीवित थे, तब राज ठाकरे ने शिव सेना छोड़ दी थी. राज ठाकरे ने उस समय कहा था कि मेरा विवाद विट्ठल से नहीं, बल्कि उनके आसपास के बड़ों से है और अपने बाद के भाषण में उन्होंने बार-बार कहा कि उद्धव ठाकरे के कारण ही उन्होंने शिवसेना छोड़ी. फिलहाल शिवसेना उद्धव ठाकरे के हाथ से निकल चुकी है. शिवसेना का नेतृत्व मुख्यमंत्री शिंदे कर रहे हैं. राज ठाकरे के सामने जो प्रस्ताव रखा गया है उसका मकसद ये है कि शिवसेना किसी और ठाकरे के हाथ में चली जाएगी.
मनसे का शिवसेना में होगा विलय, तो क्या करेंगे शिंदे?
पहला सवाल यह है कि अगर मनसे का शिवसेना में विलय हो गया तो शिंदे गुट का क्या होगा? दूसरा सवाल ये है कि क्या राज ठाकरे इतना बड़ा फैसला लेंगे? क्योंकि बाला साहेब को छोड़कर एमएनएस बनाने के बाद राज ठाकरे के लिए यह उनके राजनीतिक जीवन का दूसरा बड़ा फैसला होगा. राज ठाकरे 18 साल से मनसे का नेतृत्व कर रहे हैं.
तीसरा सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे इस पर सहमत होंगे? वर्तमान में शिंदे शिव सेना के प्रमुख नेता के रूप में शिव सेना का नेतृत्व कर रहे हैं. अगर मनसे का विलय कर राज ठाकरे को शिवसेना अध्यक्ष का पद देने का प्रस्ताव आया तो क्या शिंदे राज ठाकरे का नेतृत्व स्वीकार करेंगे?
चौथा सवाल ये है कि क्या शिंदे के विधायक मानेंगे? एकनाथ शिंदे के साथ 40 विधायक और 13 सांसद हैं. क्या ये सभी इस बात पर सहमत होंगे कि शिवसेना को राज ठाकरे के हाथों में जाना चाहिए?
पांचवां सवाल ये है कि राज ठाकरे के हाथ में और शिंदे के हाथ में कौन सी शक्तियां होंगी? अगर शिव सेना की कमान राज ठाकरे के हाथ में चली गई तो राज ठाकरे के पास पार्टी में क्या अधिकार रह जाएंगे? और एकनाथ शिंदे की भूमिका क्या होगी? और उनके पास कितने अधिकार होंगे?
राज ठाकरे को सीटों पर समझौता का प्रस्ताव
अक्सर कहा जाता था कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे को एक साथ आना चाहिए. राज ठाकरे ने यह भी कहा था कि 2014 विधानसभा में बीजेपी द्वारा गठबंधन तोड़ने के बाद उन्होंने खुद इसके लिए प्रयास किया था. वहीं पिछली गुढ़ीपड़वा सभा में उन्होंने उद्धव ठाकरे की कहानी सुनाई थी और बताया था कि कैसे उन्होंने उन्हें शिवसेना से बाहर निकालने की कोशिश की थी.
राज ठाकरे के पास बीजेपी से एक और विकल्प है. मनसे को महागठबंधन में शामिल होना चाहिए. इसके लिए एमएनएस के लिए 2-3 लोकसभा सीटें छोड़ी जाएंगी और तीसरा विकल्प यह है कि लोकसभा की सीटें न देकर विधानसभा की ज्यादा सीटें दी जाएं, लेकिन अब राज ठाकरे को महायुति के लिए प्रचार करना चाहिए. बीजेपी की अपनी भाषा में कहें तो राजनीति अर्थशास्त्र नहीं बल्कि रसायन शास्त्र है. यहां 1 और 1 दो नहीं तो 11 भी बन सकते हैं. अब राज ठाकरे किस विकल्प में फिट बैठते हैं इसका खुलासा 2-3 दिन में हो जाएगा.