मुंबई: प्रदूषण, मौसम में बदलाव और लापरवाही का खामियाजा आम मुंबईकर उठा रहे हैं। सर्दी, जुकाम और खांसी की समस्या को लेकर डॉक्टर के पास पहुंची मरीज सुशीला ने बताया कि तीन सप्ताह पहले उन्होंने डॉक्टर से दवा ली थी, 5 दिन में ठीक भी हो गई, लेकिन दो हफ्ते बीते नहीं कि मुझे फिर से कफ की समस्या होने लगी। सुशीला की ही तरह अस्पताल में आए कई अन्य मरीजों ने भी यह समस्या बताई। उनका कहना है कि ठीक होने के दो से तीन सप्ताह बाद फिर से उन्हें कफ की शिकायत होने लगी है। डॉक्टरों के अनुसार, वातावरण में फैलता प्रदूषण, मौसम में उतार-चढ़ाव, वायरस और लोगों की स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही उक्त समस्या का प्रमुख कारण है।
मरीजों और डॉक्टरों का कहना है
एक मरीज 37 वर्षीय जिग्नेश दर्जी ने बताया कि उन्हें गले में खराश, कफ और खांसी की शिकायत थी, लेकिन बुखार नहीं था। जब डॉक्टर से कंसल्ट किया तो उन्होंने दवा दी। 10 दिन में सभी समस्या दूर हो गई, लेकिन 10 दिन बाद फिर से वही परेशानी होने लगी है।
40% मरीजों में समस्या
बॉम्बे अस्पताल के फिजिशियन डॉ. गौतम भंसाली ने बताया कि उनके ओपीडी में आने वाले 30 से 40 फीसदी मरीज ऐसे हैं, जो ठीक होने के बाद उन्हें रिपीट कफ की समस्या हो रही है। पहली बार मरीज अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन यानी गले में खराश, सर्दी, जुकाम, और खांसी की शिकायत लेकर आते हैं। दवा देने के बाद वह एक सप्ताह के भीतर ठीक भी हो जाते हैं, लेकिन तीसरे सप्ताह फिर वही मरीज खांसी और कफ की समस्या लेकर आ रहे हैं।सायन अस्पताल के मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. नितिन कर्णिक ने बताया कि हमारे पास बहुत तो नहीं, लेकिन कुछ मरीज हैं, जो ठीक होने के कुछ ही हफ्ते बाद फिर से वही खांसी और कफ की शिकायत लेकर आते हैं।ब्रीच कैंडी अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉ. प्रतीत समदानी ने बताया कि उनके पास 4 से 5 मरीज रोजाना सर्दी, जुकाम और कफ की शिकायत लेकर आते हैं। दवा लेने पर रिकवरी तो होती है, लेकिन कफ की समस्या से छुटकारा मिलने में 3 सप्ताह तक का समय लग जाता है।
समस्या का कारण यह है
सभी डॉक्टरों ने कहा कि इस समस्या के पीछे तीन प्रमुख कारण नजर आते हैं। पहला कारण-बदलता मौसम, कभी ठंड तो कभी गर्म। दूसरा कारण- शहर में बढ़ता प्रदूषण जो फेफड़ों को प्रभावित करता है। तीसरा कारण है लोगों की लो इम्यूनिटी और उस पर अपनी सेहत के प्रति लापरवाही बरतना। इन्हीं कारणों से यह समस्या आ रही है।
इनसे कैसे बचें
-मास्क पहनना बेहद जरूरी।
-धूल मिट्टी वाली या कंस्ट्रक्शन साइट से दूर रहें।
-लिक्विड इंटेक पर ध्यान रखें, लेकिन ठंडे से परहेज
-पानी को गर्म करके पिएं
-सेल्फ मेडिकेशन से बचें
-डॉक्टरों की दवा का कोर्स पूरा करें