हरियाणा निकाय चुनाव के नतीजे: जाटलैंड में क्या बनेगी ट्रिपल इंजन की सरकार या कांग्रेस देगी बीजेपी को मात

हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद अब बारी जाटलैंड के शहरी निकायों की है. प्रदेश के 40 नगर निकाय के मेयर और पार्षद के लिए बुधवार को नतीजे घोषित किए जा रहे हैं. हरियाणा के 8 नगर निगम में मेयर और वार्ड पार्षद के साथ 32 नगर पालिका और नगर पंचायत के अध्यक्ष और वार्ड सदस्यों के लिए चुनाव हुए हैं. इसके अलावा अंबाला और सोनीपत नगर निगम में मेयर उपचुनाव के नतीजे आएंगे. ऐसे में देखना है कि हरियाणा में ट्रिपल इंजन की सरकार बनेगी या फिर बीजेपी के विजयरथ को कांग्रेस रोकने में सफल रहेगी.

हरियाणा के नगर निकाय चुनाव के लिए रविवार को मतदान हुए थे, जिसमें 46 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. पानीपत की नगर निगम को छोड़कर बाकी सभी जगह दो मार्च को वोटिंग हुई थी, जबकि पानीपत में 9 मार्च को वोट डाले गए हैं. अभी तक आधी से ज्यादा नगर निगमों पर बीजेपी का कब्जा था. ऐसे में सबसे ज्यादा साख बीजेपी की दांव पर लगी है, तो कांग्रेस के लिए भी अपनी प्रतिष्ठा को बचाए रखने की चुनौती है.

हरियाणा की इन नगर निकाय के नतीजे

हरियाणा में गुरुग्राम, मानेसर, फरीदाबाद, हिसार, रोहतक, करनाल, यमुनानगर, अंबाला, सोनीपत और पानीपत नगर निगम सीटें हैं, जहां पर मेयर और पार्षद को चुनाव होना है. इसके अलावा पांच नगर परिषद सीटें है, अंबाला सदर, पटौदी जटौली मंडी, थानेसर, सिरसा और सोहना नगर परिषद सीटें हैं. नगर पालिका सीटें-करनाल, इस्माइलाबाद, कुरुक्षेत्र, रोहतक, बराड़ा, बवानी खेडा, लोहारू, सिवानी, जाखल मंडी, नारनौंद, जुलाना, कलायत, सीवन, पूंडरी, इंद्री, नीलोखेडी, अटेली, कनीना, तावडू, हथीन, कलानौर, खरखौदा और रादौर जैसी सीटें शामिल हैं.

नगर निकाय में कितने उम्मीदवार?

प्रदेश के 10 नगर निगमों में मेयर (महापौर) के पद के लिए 43 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिसमें गुरुग्राम और अम्बाला नगर निगमों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है. इसी प्रकार 5 नगर परिषदों के प्रधान पद के लिए कुल 27 उम्मीदवार मैदान में हैं. इसके अलावा 23 नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए 151 उम्मीदवार चुनाव मैदान किस्मत आजमा रहे हैं. इसके अलावा नगर निगम,नगर परिषद और नगर पालिका के वार्ड पार्षद के लिए चुनाव हुए हैं, जिसमें कई सीटें पर एक कैंडिडेट होने से निर्विरोध चुने गए हैं

नगर निगम, फरीदाबाद, वार्ड नंबर 36, नगर निगम, गुरुग्राम वार्ड नंबर 22, नगर निगम, करनाल वार्ड नंबर 8 और 11 नगर निगम, यमुनानगर वार्ड नंबर 9 शामिल है. इसी प्रकार नगर परिषद अंबाला सदर वार्ड नंबर 24 एवं नगर परिषद, थानेसर वार्ड नंबर 7 और 32 में भी प्रत्याशी निर्विरोध चुन लिए गए हैं. इनके अलावा नगरपालिकाओं में 17 वार्ड सदस्य निर्विरोध चुने गए हैं.

कांग्रेस और बीजेपी के बीच फाइट

नगर निकाय चुनाव का मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है. बीजेपी और कांग्रेस सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं. बीजेपी ने मेयर पद के लिए छह महिलाओं को उतारा है, तो कांग्रेस ने चार महिलाओं पर दांव खेला है. बीजेपी ने गुरुग्राम सीट से राजरानी मल्होत्रा, पानीपत से कोमल सैनी, करनाल से रेणु बाला, फरीदाबाद से प्रवीण जोशी, अंबाला से शैलजा सचदेवा और यमुनानगर से सुमन बहमनी मेयर प्रत्याशी हैं.

वहीं, कांग्रेस ने गुरुग्राम से सीमा पाहुजा, अंबाला से अमीषा चावला, फरीदाबाद में लता रानी और यमुनानगर में किरण देवी को मेयर का उम्मीदवार बनाकर उतारा है. भाजपा का तीन नगर निगमों में मेयर पद के लिए अपने ही बागियों से मुकाबला है, जो पाला बदलते हुए कांग्रेस का दामन थामकर उतरे हैं. गुरुग्राम से कांग्रेस की मेयर प्रत्याशी सीमा पाहुजा भी पहले भाजपा में थीं, लेकिन विधानसभा चुनाव में गुरुग्राम से टिकट नहीं मिलने पर पाला बदल लिया. अब उनका मुकाबला भाजपा की राजरानी मल्होत्रा से है.

कांग्रेस के रोहतक से मेयर प्रत्याशी सूरजमल किलोई ने पिछले विधानसभा चुनाव में कलानौर से टिकट न मिलने पर भाजपा छोड़ दी थी. उनका मुकाबला भाजपा उम्मीदवार राम अवतार वाल्मीकि से है. करनाल में 2014 में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के खिलाफ चुनाव लड़ चुके कांग्रेस प्रत्याशी मनोज वधवा बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर फिर कांग्रेस में शामिल हो गए. अब उनका मुकाबला यहां से भाजपा की दो बार की मेयर रेणु बाला से है.

किस सीट पर किससे हो रही फाइट?

मानेसर में पहली बार नगर निगम का चुनाव हुए हैं. मेयर पद के लिए 4 उम्मीदवार हैं. बीजेपी के सुंदर लाल, कांग्रेस के नीरज यादव, विजय सिंह और डॉ. इंद्रजीत सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े. मानेसर के 20 वार्डों में पार्षद पद के लिए 167 उम्मीदवार मैदान में थे. जाटलैंड में मेयर पद के 5 उम्मीदवार हैं, रोहतक में मेयर पद के लिए बीजेपी से राम अवतार वाल्मीकि, कांग्रेस से सूरजमल किलोई, इनेलो से सूरज, आप से अमित खटक और दीपक सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में हैं. पिछले चुनाव में बीजेपी के मनमोहन गोयल मेयर बने थे.

रोहतक के 22 वार्डों में पार्षद पद के लिए 121 उम्मीदवार मैदान में हैं. हिसार में मेयर पद के 7 उम्मीदवार हैं. बीजेपी के प्रवीण पोपली, कांग्रेस के कृष्ण कुमार सिंगला, होशियार सिंह, गुरप्रीत सिंह, सुरेंद्र कुमार और मीरा निर्दलीय उम्मीदवार किस्मत आजमा रही हैं. पहले कांग्रेस की शकुंतला राजलीवाला मेयर थीं. हिसार के 20 वार्डों में पार्षद पद के लिए 116 उम्मीदवार थे. मुख्य मुकाबला BJP के प्रवीण पोपली और कांग्रेस के कृष्ण सिंगला के बीच है.

करनाल नगर निगम में मेयर पद के लिए 4 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं. बीजेपी से रेणु बाला गुप्ता, कांग्रेस से मनोज कुमार वधवा, मुकेश रघुवंशी और यश देव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही. 2019 के चुनाव में रेणु बाला गुप्ता मेयर बनी थीं. करनाल में कुल 20 वार्ड हैं. 2 वार्ड में BJP के उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए, जिसके बाद 18 वार्ड में 92 उम्मीदवार मैदान में है. पानीपत नगर निगम में मेयर पद के लिए चार और 26 वार्डों में पार्षद पद के लिए 103 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं.

किसका क्या दांव पर लगा है?

प्रदेश के 10 नगर निगम में से 6 नगर निगमों पर अभी तक बीजेपी का कब्जा था. इसके अलावा दो नगर निगम पर कांग्रेस और एक पर हरियाणा जन चेतना पार्टी की मेयर थीं. मानेसर नगर निगम में पहली बार चुनाव हो रहे हैं. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने खुद हर नगर निगम में जाकर जनसभाएं की हैं और दूसरे दलों के असंतुष्ट नेताओं को बीजेपी में शामिल कराया है. ऐसे में सीएम नायब सैनी की साख दांव पर लगी है.

केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर की प्रतिष्ठा करनाल, केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर फरीदाबाद और केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह गुरुग्राम और मानेसर नगर निगमों में बीजेपी उम्मीदवारों की जीत की है. हरियाणा सरकार के करीब एक दर्जन मंत्रियों को शहरी निकाय चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों को जिताने की मशक्कत की है.

वहीं, हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी बीके हरिप्रसाद का लिटमस टेस्ट होगा. विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें हरियाणा का प्रभारी बनाया गया है, जिस वजह से उनकी पहली परीक्षा है. कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का फोकस सिर्फ रोहतक नगर निगम के चुनाव पर है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की साख दांव पर लगी हैं. कांग्रेस महासचिव कुमारी सैलजा, कैप्टन अजय सिंह यादव और रणदीप सिंह सुरजेवाला की शहरी निकाय चुनाव में ज्यादा रुचि नहीं ली, लेकिन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान के लिए भी खुद को साबित करने की चुनौती है. ऐसे में देखना है कि बीजेपी और कांग्रेस में किसका पलड़ा भारी रहता है?

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