सामने थी सीएम की कुर्सी, 2004 में अलग नहीं होने के लिए होता है अफसोस, अजित पवार ने शरद पवार पर साधा निशाना

पुणे : 2024 लोकसभा चुनावों में पहली बार अपने चाचा शरद पवार को चुनौती दे रहे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख अजित पवार ने अफसोस व्यक्त किया है। पवार फैमिली में विवादों का जिक्र करते हुए अजित पवार ने कहा कि वे 2004 में शरद पवार से अलग नहीं हुए थे। इसके लिए उन्हें आज अफसोस होता है। अजित पवार ने कहा इसके चलते राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी द्वारा मुख्यमंत्री बनाने का मौका निकल गया। जिसके परिणामस्वरूप आज देश की प्रगति के लिए बीजेपी और शिवसेना के साथ गठबंधन करना पड़ा। पिछले साल जुलाई में अजित पवार अपने चाचा को छोड़कर महायुति सरकार में शामिल हो गए थे। वे वर्तमान में राज्य के उप मुख्यमंत्री हैं।

NCP ने जीती थीं ज्यादा सीटें
अजित पवार ने कहा कि वे अपने राजनीतिक सफर में कई सालों से अपने चाचा के मार्गदर्शन पर चलते आए हैं। उन्हें पिता समान मानते हैं और उनके फैसलों का कभी विरोध नहीं किया। अजित पवार ने कहा कि इस बार उन्होंने देश की तरक्की के लिए बीजेपी और शिवसेना के साथ गठबंधन करने का फैसला किया। अजित पवार ने कहा कि 2004 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी ने कांग्रेस से ज़्यादा सीटें जीती थीं और विलासराव देशमुख (पूर्व कांग्रेस सीएम) ने मुझसे पूछा था कि क्या मैं (अजित पवार) आरआर पाटिल या छगन भुजबल सीएम बनेंगे? क्योंकि मैडम (सोनिया गांधी) ने कहा था कि कांग्रेस को दावा करने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि उसने कम सीटें जीती हैं। हालांकि बाद में हमें जानकारी मिली कि एनसीपी ने सीएम पद के लिए कोई दावा वापस ले लिया है। बदले में हमें अतिरिक्त चार मंत्रालय मिलेंगे। मेरा मानना है कि अगर 2023 में मैंने जो कदम उठाए हैं। वे 2004 में उठाए गए होते तो यह ज़्यादा फ़ायदेमंद होता। अजित पवार ने कहा कि अतीत पर ध्यान देने का कोई फ़ायदा नहीं है।

तब शरद पवार ने किया था विरोध
अजित पवार ने बताया कि शरद पवार से अलग होने के लिए उनकी अक्सर आलोचना की जाती है, जबकि वे अपने चाचा के प्रति वफ़ादार थे और कई सालों तक उनकी आज्ञाओं का पालन करते रहे। पवार साहब ने मुझे राजनीति में मौका दिया था, लेकिन उन्हें यशवंतराव चव्हाण से भी मौका मिला था। 1978 में वसंतदादा पाटिल की सरकार को उखाड़ फेंका गया और जनता पार्टी के सहयोग से एक नई सरकार बनी। उन्होंने बताया कि पवार साहब ने चव्हाण साहब की सलाह नहीं मानी। अजित पवार ने कहा कि पवार परिवार के किसी सदस्य के लिए अलग-अलग राय रखना कोई असामान्य बात नहीं है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि शरद पवार ने अतीत में अपने बड़े भाई वसंतराव पवार का विरोध किया था। वसंतराव ने 1960 में शेतकरी कामगार पक्ष के उम्मीदवार के रूप में बारामती से लोकसभा उपचुनाव में भाग लिया था। उन्होंने कहा कि पूरा पवार परिवार वसंतराव के लिए प्रचार कर रहा था और केवल एक व्यक्ति (शरद पवार) ने उनके खिलाफ काम किया।

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