दिल्ली चलो नारे के तहत पंजाब और हरियाणा के किसान संगठन न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), कर्ज का बोझ, बिजली के बढ़े दाम और अन्य मुद्दों को लेकर एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं. केंद्र सरकार का कहना है कि वे किसान संगठों की 13 में से 10 मांगें स्वीकार करने के लिए तैयार हैं लेकिन अभी तक बातचीत बेनतीजा रही है. किसान और केंद्र के बीच तीन दौर की वार्ता हो चुकी है. लेकिन सवाल ये है कि असल में किसान सरकार के बारे में क्या सोचते है
वहीं, ऐसे किसान जिनके पास खेती की जमीन नहीं है. ऐसे एक-तिहाई से अधिक किसानों का कहना है कि मोदी सरकार के आने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है. वहीं, ऐसे 22 फीसदी किसानों का कहना है कि उनकी वित्तीय स्थिति और बदतर हुई है जबकि 28.6 फीसदी किसानों का कहना है कि उनकी स्थिति में सुधार हुआ है.
क्या किसानों के दैनिक खर्च बढ़े हैं?
सर्वे में पूछा गया कि क्या किसानों पर पिछले साल की तुलना में इस बार महंगाई की मार ज्यादा पड़ी है. इस पर ऐसे किसान जिनके पास जमीनें हैं. ऐसे 63.2 फीसदी किसानों का कहना है कि उनके खर्चे लगातार बढ़ रहे हैं, जिन्हें संभालना मुश्किल हो रहा है. इसी तरह जमीन के मालिकाना हक वाले 70 फीसदी से अधिक किसानों को भी लगता है कि उन्हें खर्च बढ़े हैं. इस सर्वे में शामिल 61.7 फीसदी किसानों का कहना है कि उनके खर्चे बढ़े हैं जिन्हें संभालना मुश्किल हो रहा है.
वहीं, ऐसे किसान जिनके पास जमीनें हैं, ऐसे 28 फीसदी किसानों का कहना है कि महंगाई के बावजूद उनके दैनिक खर्चे मैनेज हो पा रहे हैं. 19 फीसदी ऐसे किसान जिनके पास जमीन नहीं हैं, उन्हें भी ऐसा ही लगता है कि महंगाई बढ़ने के बावजूद उनकी स्थिति ठीक बनी हुई है.
वहीं, लगभग पांच फीसदी किसानों का कहना है कि उनके दैनिक खर्चे बढ़े हैं. संदर्भ के लिए 2022 में औसतन उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 6.9 था जबकि 2023 में यह 5.8 रहा.
क्या किसानों को मोदी की नीतियां से लाभ हुआ?
केंद्र सरकार की नीतियों के बारे में बात करते हुए ऐसे किसान जिनके पास खुद की जमीन हैं. इनमें से से अधिक का कहना है कि उन्हें बीजेपी की अगुवाई में एनडीए सरकार में लाभ हुआ है. हालांकि, लगभग 14 फीसदी को लगता है कि किसानों को लाभ हुआ है. ऐसे किसान जिनके पास जमीन नहीं है, इनमें से 56 फीसदी से अधिक का कहना है कि उन्हें केंद्र की नीतियों से सबसे अधिक लाभ हुआ है. 56 फीसदी का कहना है कि मोदी की नीतियों से बड़े कारोबारों अधिक लाभ हुआ है जबकि 10.5 फीसदी को
है कि केंद्र की नीतियों से छोटे कारोबारियों को लाभ
सर्वे में जब किसानों से मोदी सरकार की सबसे बड़ी असफलता के बारे में पूछा गया तो 22 फीसदी किसानों ने महंगाई को सबसे बड़ी असफलता बताया. ये वो किसान हैं, जिनके पास अपनी खेती की जमीनें हैं. वहीं, ऐसे किसान जिनमें पास जमीनें नहीं हैं, ऐसे 28.4 फीसदी किसानों ने भी महंगाई को मोदी सरकार की सबसे बड़ी असफलता बताया. वहीं, किसानों का समर्थन करने वाले आम लोग लगभग 23 फीसदी किसानों ने भी महंगाई को सबसे बड़ी असफलता बताया. वहीं, ऐसे किसान जिनके पास अपनी जमीनें हैं, ऐसे लगभग 52 फीसदी किसानों ने बेरोजगारी को गंभीर समस्या बताया.
मोदी सरकार के कामकाज को लेकर लगभग 39.1 फीसदी किसनों ने संतुष्टि जताई. ये वे किसान हैं, जिनके पास अपनी जमीनें हैं जबकि 31.1 फीसदी किसान मोदी सरकार के कामकाज से संतुष्ट हैं. ये वे किसान हैं, जिनके पास जमीनें नहीं हैं. वहीं, 39.1 फीसदी आमजन भी मोदी सरकार के कामकाज से खुश हैं.