राजस्थान: डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने हाईवे पर की स्लीपर बसों की औचक जांच, खामियां मिलने पर 5 बसें सीज

जयपुर: जैसलमेर में चलती स्लीपर बस में हुए भीषण अग्निकांड के बाद परिवहन विभाग ने विशेष अभियान शुरू किया। परिवहन विभाग के अधिकारियों ने सभी प्रकार की निजी और स्लीपर बसों की जांच शुरू की है। 100 से ज्यादा बसों के खिलाफ अधिकारियों ने कार्रवाई की और दर्जनों बसों को जब्त भी किया है। प्रदेश के डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा के पास परिवहन विभाग का जिम्मा है। ऐसे में वे खुद समय समय पर बसों का औचक निरीक्षण करते रहे हैं। शनिवार को सीकर से जयपुर आते वक्त रास्ते में उन्होंने अपने काफिले को रुकवाया और हाईवे पर निजी बसों की जांच शुरू कर दी।

5 निजी बसों को कराया सीज

डॉ. बैरवा ने नेशनल हाईवे संख्या 52 पर सड़क किनारे अपने काफिले को रोका। इसके बाद खुद डिप्टी सीएम ने बसों की चेकिंग शुरू कर दी। हाईवे पर चलने वाली स्लीपर बसों को रुकवाते रहे और उनका निरीक्षण करते रहे। उन्होंने करीब एक दर्जन निजी बसों का निरीक्षण किया। डिप्टी सीएम द्वारा निरीक्षण की सूचना मिलते ही परिवहन विभाग के अधिकारी भी दौड़कर मौके पर पहुंचे। निरीक्षण के दौरान 5 निजी बसों में खामियां मिलने पर डिप्टी सीएम ने उन बसों को जब्त कराया।

स्लीपर में इमरजेंसी के एग्जिट गेट भी नहीं थे

जिन स्लीपर बसों की जांच डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने की। उन स्लीपर बसों में इमरजेंसी के एग्जिट गेट भी नहीं थे। इमरजेंसी गेट के स्थान पर सीट लगी हुई मिली। इस पर डिप्टी सीएम डॉ. बैरवा ने हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि हाल ही में जैसलमेर में एक चलती स्लीपर बस में बड़ा अग्निकांड हुआ। उसके बावजूद भी कई बस ऑपरेटर इमरजेंसी एग्जिट गेट जैसी सुविधाएं भी नहीं अपना रहे। उन्होंने परिवहन विभाग के अफसरों को निर्देश दिए कि हर स्लीपर और निजी बसों की नियमित रूप से जांच की जाए। जो भी बस नियम विरुद्ध संचालित पाई जाए, उसे तुरंत सीज करें।

पिछले महीने डिप्टी सीएम को नहीं पहचान पाया था कंडक्टर

एक महीने पहले भी डिप्टी डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने रोडवेज बस का निरीक्षण किया। वे बिना किसी को बताए रोडवेज की बस में चढ़ गए थे। रोडवेज का परिचालक डिप्टी सीएम को पहचान नहीं पाया। कंडक्टर ने डॉ. प्रेमचंद बैरवा से टिकट मांगा। इस पर भाजपा के एक कार्यकर्ता ने कहा कि ये राजस्थान के डिप्टी सीएम हैं। इसके बाद परिचालक ने डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा के पैर छुए।

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