मुंबई : करीब आठ साल से अपने घर का इंतजार कर रहे 306 लॉटरी विजेताओं को बीते कुछ दिनों से रातों को नींद नहीं आ रही है। विजेताओं की नींद उड़ने का कारण महाराष्ट्र गृहनिर्माण क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा) के मुंबई मंडल का 2016 में जारी की गई लॉटरी में शामिल घरों की कीमत में कीमत में इजाफा करने का प्रस्ताव है। निर्माण कार्य में हुए खर्च की वसूली के लिए म्हाडा घरों की कीमत में करीब 7 से 10 लाख रुपये की वृद्धि करने का विचार कर रही है। यह प्रस्ताव जल्द ही म्हाडा उपाध्यक्ष के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। गोरेगांव के पत्रावाला प्रॉजेक्ट के करीब 306 घरों की लॉटरी 2016 में जारी की गई थी। लेकिन बिल्डर द्वारा समय पर प्रॉजेक्ट को पूरा नहीं कर पाने के कारण लॉटरी विजेताओं को अब तक घरों का पजेशन नहीं मिल पाया है। विजेताओं के विरोध को देखते हुए म्हाडा ने खुद प्रॉजेक्ट को पूरा करने निर्णय लिया। मौजूदा समय में बिल्डिंग का निर्माण कार्य करीब पूरा हो चुका है। ऐसे में म्हाडा निर्माण कार्य में हुए खर्च की वसूली के लिए घरों की कीमत में वृद्धि करने की योजना पर काम कर रही है। म्हाडा के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, योजना के आरंभ में प्रॉजेक्ट को निजी बिल्डर को पूरा करना था, उस समय इस आधार पर लॉटरी में शामिल घरों की कीमत तय की गई थी, लेकिन अधूरा कार्य को पूरा करने में मंडल के काफी पैसे खर्च हुए हैं। इस वजह से घरों की कीमत में बढ़ोतरी करने का विचार किया जा रहा है। जल्द ही कोई निर्णय लेकर घर की नई कीमत जारी की जाएगी।
‘हमारे साथ अन्याय’
लॉटरी विजेताओं ने घरों की कीमत में वृद्धि करने के म्हाडा के प्रस्ताव का विरोध किया है। विजेताओं के अनुसार, पिछले आठ साल से इंतजार करने के बावजूद अब तक हमें घर नहीं मिल पाए हैं, वहीं अब घरों की कीमत में वृद्धि कर उनके साथ अन्याय किया जा रहा है। एक लॉटरी विजेता के अनुसार, उनके रिटायरमेंट में अब केवल चार साल बचे हैं और पुराने दर के हिसाब से ही बैंक से लोन प्राप्त करना उनके लिए मुश्किल होगा। ऐसे में और पैसे का इंतजाम करना और मुश्किल होगा। जीवन भर किराए के घर में रहा, जीवन के अंतिम पड़ाव में घर का किराया नहीं भरना होगा, यह सोच कर म्हाडा की लॉटरी में शामिल हुआ था। लेकिन अब लगता है कि जीवन भर किराये के ही घर में रहना होगा।
‘अब लोन मिलने में होगी दिक्कत’
लॉटरी विजेता विजय नाईक के अनुसार, घरों की अधिक कीमत हमें मंजूर नहीं होगी। बिल्डर अगर समय पर काम नहीं कर पाए तो उस से पैसे की वसूली करनी चाहिए, ना कि लॉटरी विजेताओं से। अगर समय पर घर मिल गया होता, तो अब तक बैंक लोन की रकम खत्म होने का समय आ गया होता। प्रॉजेक्ट में देरी के कारण बहुत से लोगों को लोन हासिल करने में दिक्कत होगी। 2016 और अब की ब्याज दरों में भी काफी अंतर है। म्हाडा को अपने खर्च की वसूली के साथ ही लॉटरी विजेताओं की भी आर्थिक स्थिति पर गौर करना चाहिए।